क्या देश की हालत ठीक है?
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क्या देश की हालत ठीक है?

पता नहीं देश में क्या चल रहा है? आए दिन हम देश के किसी-न-किसी कोने से किसी-न-किसी अपराध की खबरें रोज अख़बार में पढ़ते हैं। हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री पूरे देश में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अब हर राज्य के विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं। जहाँ वे जिम्मेदारियों को और बढ़ाने की तैयारी में हैं वहीं वे अपनी तात्कालिक जिम्मेदारियां निभाने में असमर्थ से प्रतीत होते हैं।


गुजरात, जो कि माननीय प्रधानमंत्री जी का गृह प्रदेश है, वहां भुज शहर में एक आवासीय संस्थान सहजानंद कॉलेज में पिछले दिनों 68 छात्राओं के मासिक चक्र की जांच के लिए उनके कपड़े शर्मनाक तरीके से उतरवा लिए गए। हॉस्टल में इस्तेमाल किया गया सैनेटरी पैड मिलने के बाद जांच के नाम पर यह सब कुछ हुआ। हैरत की बात यह है कि इस संस्थान में निः शुल्क सैनेटरी पैड देने के लिए मशीन तक लगाई गई है। शर्मनाक तथ्य यह भी सामने आया कि मासिक धर्म के वक्त ऐसी लड़कियों को अलग रखा जाता था, उन्हें पास के मंदिर में नहीं जाने दिया जाता था, यहां तक कि उन्हें साथ में खाना भी नहीं खाने दिया जाता था। इस तरह से महिलाओं को भेदभाव के खिलाफ लड़ने तथा शिक्षा ग्रहण करने के बजाय उनका उत्पीड़न किया जा रहा है, और यह पता नहीं कब से हो रहा है। यदि कुछ छात्राएं मीडिया को इस बारे में न बताती तो पता नहीं ये कृत्य जनता के सामने कभी आता या नहीं। माननीय प्रधानमंत्री के गृह प्रदेश में इस प्रकार के कृत्य हो रहे हैं, और वे इन सबसे अनभिज्ञ हैं।


उधर दिल्ली में शाहीन बाग़ में राष्ट्रीय नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रही महिलाएं गृह मंत्री से मिलने गयी तो उन्हें मिलने नहीं दिया गया। शाहीन बाग में विरोध के चलते काफी नुकसान हो रहा है- वहां पर बच्चे के स्कूल जाने वाली बसों को रोका जा रहा है, दुकानें बंद पड़ी है, व्यापार पर काफी ज्यादा असर है। जहाँ गृहमंत्री जी को स्वयं उनसे मिलकर उनको समझाना चाहिए था। वहीं विरोधियों के आने पर वे मिलने से इनकार कर रहे हैं। पता नहीं सरकार या गृहमंत्री जी इस विरोध को रोकना भी चाहती है या नहीं।


दिल्ली के चुनाव से पहले भाजपा के कई जाने-माने नेताओं ने चुनाव प्रचार में खूब जोरों से चुनाव प्रचार किया। उनमें हमारे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल थे। भाजपा की नीति पूरे राष्ट्र में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा में अपनी सरकार बनाने की प्रतीत होती है। परन्तु ये सोचने से पहले किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री को पहले अपने राज्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि पिछले कुछ लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा बहुमत से जीत रही है उस पर आने वाले चुनावों में प्रतिकूल प्रभाव पड़े। आए दिन बलात्कार के किस्से सुनने में आते हैं। फिर मुजरिमों को सज़ा भी दी जाती है जिसमें समय भी लगता है। सरकार नए कानून भी बनाती है। मगर कोई कदम ऐसा नहीं उठाया जाता जिससे बलात्कार न हो।


अभी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में जहाँ से हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी श्री योगी आदित्यनाथ सांसद हैं वहां पर कुछ पुलिसकर्मियों ने एक महिला का सामूहिक बलात्कार किया । जब मुख्यमंत्री जहां से सांसद हैं वहां की महिलाओं का बलात्कार सुरक्षा करने वाले पुलिसकर्मियों द्वार ही किया जाए तो बाकी प्रदेश की जनता की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है।


पुलिसकर्मियों का ऐसा ही एक कृत्य दिल्ली में देखने को मिला। 15 दिसंबर को जामिया विश्वविद्यालय में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर दिल्ली पुलिस की हिंसा का विडियो वायरल हो रहा है। इसमें पुलिस लाइब्रेरी में बैठे बच्चों पर लाठियां बरसा रही हैं और बच्चे कुर्सियों के नीचे छिपते और पुलिस के सामने हाथ जोड़ते नजर आ रहे हैं। पुलिस के इन कृत्यों से आम जनता का विश्वास डगमगाने के आसार हैं। इन सब पर सरकार को सोच-विचार कर कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है।

महिलाओं के साथ-साथ बाकी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का उपाय ढूंढना चाहिए। जिम्मेदारियों को बढ़ाने से अच्छा अपनी तात्कालिक जिम्मेदारी को अच्छे से निभाया जाए। शिक्षा तंत्र में महिलाओं के प्रति सम्मान करने के लिए नैतिक शिक्षा को अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। प्राइमरी स्कूल और घर से महिलाओं के सम्मान की शुरुआत होनी चाहिए और महिला संस्थानों को भी इसके लिए आगे आना चाहिए तभी ये देश आगे बढ़ पायेगा।

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