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History/Evolution of Computer

 कंप्यूटर का इतिहासः -

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           दोस्तों, आज इस तकनीक से भरी दुनिया में कंप्यूटर का होना एक बहुत महत्वपूर्ण बात है। कंप्यूटर की मदद से आज हम अनेक ऐसे कार्य करने में सक्षम हैं जिनके बारे में कभी हमने सोचा भी नहीं था। आज हम घर बैठे-बैठे किसी दूर बैठे इंसान से बात कर सकते हैं, उसे देख सकते हैं, किसी को भी पैसे भेज सकते हैं, फोटो, वीडियो या अन्य कईं प्रकार के दस्तावेज़ भेज सकते हैं। विडियोकॉन्फ्रेस कर सकते हैं। ऐसे ही अनेक कार्य हैं जो पहले नहीं किये जा सकते थे पर आज कंप्यूटर की मदद से सब कुछ मुमकिन है।

         पर क्या आपने ये सोचा है कि कंप्यूटर का ये दौर पहले नहीं था, पहले ये सब संभव नहीं था। तो कैसे कंप्यूटर हमारे जीवन में आया किस तरह से इसकी शुरुआत हुई, क्या है इसकी कहानी, क्या है इसका इतिहास? ये सब जानने के लिए हमने ये एक छोटा प्रयास किया है। उम्मीद है आपको पसंद आय़ेगा।

     

         दोस्तो, प्राचीन काल से ही मानव अपनी उपलब्धियों, अपनी कुछ महत्वपूर्ण वस्तुओं आदि को संभालकर रखने तथा उनका हिसाब रखने का इच्छुक रहा है। और इसी जरूरत को पूरा करने के लिए कईं यंत्र ऐसे सामने आए जो कि गणना के लिए प्रयोग में लाये जा सके। इन्हीं गणना यंत्रों से आज के मॉडर्न कंप्यूटर तक की कहानी हम जानेंगे। कंप्यूटर का इतिहास लगभग 5000 ई.पू. से शुरु होता है।

Tally Stick

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A tally stick made with wood

A tally stick made with bone

  1. दोस्तो सबसे पहले जो गणना के लिए यंत्र का इस्तेमाल हुआ, वो था टेलीस्टिक (Tally Stick)। ये एक ऐसी डिवाइस थी जो रिकॉर्ड रखने में, जैसे की दस्तावेज़ क्रमांक, संदेश तथा मात्राओं (Quantity) का हिसाब रखने में मदद करती है। पहले ये स्टिक्स जानवरों की हड्डियों पर खोदकर बनायी गयी नक्काशी से बनायी जाती थी। फिर 23 से 79 ए.डी. में प्लीनीद्एल्डर नामक एक लेखक ने एक लकड़ी के बारे में बताया जिसको टेली स्टिक बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता था।

Abacus

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                   उसके बाद अबेकस का उपयोग अस्तित्व में आया। अबेकस सबसे पहली Mechanical device थी जिससे Mathematical calculations  की जा सकती थी। मतबल ये कंप्यूटर के इतिहास का सबसे पहला Mechanical गणना यंत्र है। इससे पहला जो यंत्र है वो है Tally Stick, वो एक Mechanical device नहीं है। 

               अबेकस का आविष्कार Babylonia में 2400 बी. सी. में हुआ। इसको 500 बी.सी. में चीन में सबसे पहले उपयोग में लाया गया। जैसा कि आप चित्र में देख पा रहे हैं। कुछ इस प्रकार का रहता है abacus आज कल काफि modern अबेकस आने लगे हैं। जिनसे arithmetic problem solve कर सकते हैं। आज भी इसका प्रयोग चलन में है। कहते हैं इसके उपयोग से मनुष्य की बुद्धि कुशाग्र होती है।

John Nappier's Bone

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उसके बाद, 1617 में John Napier ने एक manually calculating device develop करके उसका पहला वर्जन दुनिया के सामन पेश किया। जिसका उपयोग Maths और Technology के क्षेत्र में बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ। इस मशीन का नाम था John Napier’s Bone और इसकी मदद से हम Multiply, divide, square and cube roots  को perform  कर सकते हैं। जैसा की चित्र में देख पा रहे होंगे इसमें एक बेस बॉर्ड होता है, जिसमें रिम होता है। हम रोड को रिम के अंदर डालकर multiplication और division के operations को perform कर सकत हैं।

Slide Rule

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          उसके बाद, 1620 में जर्मनी के एक गणितज्ञ विलियम ऑटरेड ने slide rule  का आविष्कार किया। यह स्लाइड रूल लघुगुणक विधि के आधार पर गणना के लिए प्रयोग किया जाता था।

         इसमें ये दो प्रकार की चिन्हित पट्टियां होती थी, जिन्हें बराबर में रखकर आगे-पीछे करके लघुगुणक की गणनाएं की जाती थीं।

Pascaline/Pascal’s Calculator

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        उसके बाद 1642 ई. के आस-पास फ्रांस के एक गणितज्ञ Blaze Pascle ने एक Mechanical calculator का invention किया, जिसे Pascaline या Pascal का Calculator के नाम से भी जाना जाता है। इसकी मदद से हम दहाई अंको का भी addition and substraction कर सकते हैं। इसमें सबसे अच्छा innovation था कि इसमें हासिल यानि carry mechanism का भी उपयोग कर सकते हैं।

Stepped Reckoning Machine

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         उसके बाद Blaize Pascal के calculator को जर्मन के गणितज्ञ Gottfried Von Leibnitz ने 1617 में संशोधित कर एक ऐसी मशीन बनायी जिसके द्वारा Addition and Subscription के साथ multiplication, division और वर्गमूल जैसी जटिल गणनाएं भी की जा सकती हैं। इस मशीन का नाम था Reckoningh Machine इस मशीन का उपयोग आजकल Motor cycle and scooter के speedometer  में किया जाता हैं।

Arithmometer

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उसके बाद 1820 में Charles Xavier Thomas ने आविष्कार किया एक Mechanical calculating machine जिसके द्वारा 4 बेसिक arithmetic operations additions, subscriptions, multiplications and division किया जा सकता था। ये पहला digital mechanical calculator था। ये एक Strong and reliable मशीन थी जिसका उपयोग office environment में आशानी से किया जा सकता था। इस मशीन का नाम था arithmometer.

Difference Engine

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उसके बाद 1823 में अपने Sir Charles Babbage आ गये – जो एक Cambridge university गणितज्ञ थे। उन्होंने Charle’s Babbage’s Machine बनायी इसे difference Engine भी कहते हैं। जिसके द्वारा जटिल गणनाएं आशानी से की जा सकती थी। इसमें Data को सुरक्षित रखने के लिए पंचकार्ड का प्रयोग की जाता है।

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       पंचकार्ड एक प्रकार के मोटे कागज से बने कार्ड होते हैं, जिनमें छिद्र की मदद से Computer और अन्य प्रकार का Data प्रदर्शित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।

        Difference Engine एक Automatic Mechanical Calculator है जिसको Polynomial functions के Table design करने के लिए बनाया गया। ज्यादातर Mathematical functions जो सामान्यतः Engineers, Scientists और Navigators use करते हैं। जैसे कि Lagorithm and trigonometric functions, इनको Polynomials की मदद से approximate किया जा सकता हैं। इसलिए Difference Engine बहुत सारी table of numbers को Compute कर सकता था। इसलिए ये बाकि मशीनों से बहुत विशेष है।

Analytical Engine

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Analytical Engine

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Lady Ada Lovelace

          उसके बाद, Charles Babbage ने Difference Engine के बाद Analytical Engine Design किया। ये एक General purpose Computer था जो कि आजकल के Computer से काफि मिलता जुलता है। इसके अंदर Arithmetic logic unit (ALU) Control Flow तथा Memory था। ये दोनों Charles Babbage को Computer का पिता यानि Father of Computer कहा जाने लगा। इस कंप्यूटर के कार्य के चार भाग थे- पहला - इनपुट, दसूरा – आउटपुट, तीसरा-ALU और तथा चौथा Memory.

         इसी कंप्यूटर के लिए Lady Ada Lovelace नाम की एक गणितज्ञ ने एक Important Number System बनाया, जो था –Binary Number System. इन्हीं के नाम पर ADA Language आविष्कार हुआ।

         Ada ने पहली बार कंप्यूटर के लिए प्रोग्राम बनाया और इसलिए इनको First Computer Programmer के नाम से भी जाना जाता है।

ये लगभग 1840 की बात थी।

        उसके बाद 19th Century में Capacitors, Diode, Resistors, Vacuum tube etc. का उपयोग करके इलेक्ट्रिक कंप्यूटर का निर्माण किया जाने लगा।

        इन कंप्यूटर के निर्माण के इतिहास को हम पांच पीढ़ी यानि Generations में बांटते हैं।

First Generations of Computers (1942-1955)

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Vacuum tubes

        पहली पीढ़ी की अगर बात करें तो इसमें बेसिक हार्डवेयर  component के रूप में Vacuum tubes का उपयोग होता था। जो कि memory and Circuitry के लिए बेहतर था।

         Vacuum tube एक ऐसी device है जिसका प्रयोग प्रवाह यानि current flow के लिए किया जाता था वो भी vacuum की मदद से। ये ट्यूब transistors का पुराना रूप हैं। जिसको, switches, rectifiers, amplifier, oscillations को कंट्रोल करने के लिए किया जा सकता है।

       लगभग 1942 से 1955 तक का समय है। इस समय के कंप्यूटर Machine Language का प्रयोग किया जाता था। और 0 और 1 की कोडिंग यानि बाइनरी संख्या प्रणाली का इस्तेमाल होता था। इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बड़े और काफि महंगे होते थे। ये कंप्यूटर बहुत ज्यादा बिजली की खपत करते थे और प्रोसेसिंग के लिए बहुत ज्यादा समय और ऊर्जा लेते थे। ये कंप्यूटर ज्यादातर वैज्ञानिक इस्तेमाल के लिए ही थे। ये कंप्यूटर ज्यादा Heat generate करते थे और इसी कारण गर्म हो जाते थे जिसके कारण इन्हें AC Rooms में रखना पड़ता था।

        इस जेनेरेशन के कंप्यूटरों में ENIAC यानि Electronic Numerical Impetrator and Computer है। जिसे बनाने में 20,000 Vacuum tubes, 7200 Crystal diode, 1500 relays, 70,000 Resistors, 10,000 capacitors और लगभग 5 करोड़ hand soldered joints  का इस्तेमाल हुआ। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कितना बड़ा होगा। ENIAC का आविष्कार John Presper Eckert  and John W. Mauchle ने किया।

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ENIAC के साथ-साथ – UNIVAC – यानि Universal Computer, EDVAC – यानि Electric Discrete Variable Automatic Computer etc. भी प्रथम पीढ़ी के कुछ कंप्यूटर हैं।

Second Generations of Computers (1955-1964)

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      दूसरी पीढ़ी का समय 1955 से 1964 तक था। इस समय के कंप्यूटर में Hardware components के रूप में Vacuum tubes की जगह Transistors आ गये। Transistors Vacuum tubes की तरह ही काम करते हैँ। मगर ये आकार में Vacuum tubes से बहुत छोटे होते था तथा काफि सस्ते भी होते थे। Transistors, Vacuum tube की अपेक्षा कम ऊर्जा गृहण करते हैं।

      दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में Magnetic core use होने लगी जो Primary memory का काम करने के लिए काफि उपयोगी थी। Secondary Memory के लिए Magnetic Tape and disc का प्रयोग किया गया। इन कंप्यूटर में High level Programming Language जैसे- FORTRAN, COBOL का प्रयोग होने लगा।

      इस पीढ़ी के कंप्यूटर प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की अपेक्षा आकार में छोटे तथा सस्ते थे। ये प्रथम पीढ़ी की अपेक्षा कम बिजली खपत करते थे और उन कंप्यूटरों से थोड़ा अधिक तेज थे। हालांकि अभी भी ये जल्दी गर्म हो जाते थे और इनको AC Room की आवश्यकता पड़ती थी। ये कंप्यूटर भी सिर्फ वैज्ञानिक उपयोग के लिए ही थे।

इस पीढ़ी के कंप्यूटर में IBM-7094, CDS-1604 and UNIVAC-LARC जैसे कंप्यूटर शामिल हैं।

Third Generations of Computers (1965-1975)

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Integrated Circuit

     तीसरी पीढ़ी का समय कुछ 1964 से 1975 तक का माना जाता है। इस पीढ़ी के कंप्यूटर में हार्डवेयर के विशेष Component के रूप में ट्रांसिस्टर की जगह IC यानि (Integrated Circuit) ने ले ली थी। IC में many transistor, resistors, capacitors, diodes etc. को एक छोटी silicon chip में समाहित किया जा सकता है। IC के इस्तेमाल से कंप्यूटर के आकार कमी आई तथा इनकी गुणवत्ता और गति में काफि इजाफा हुआ। 

 

     अगर इस पीढ़ी के कंप्यूटर की सॉफ्टवेयर की बात करें तो इनमें Multiprogramming operating systems, High Level languages जैसे –FORTRAN, COBOL, BASIC, Pascal आदि का इस्तेमाल किया जाता था।

      ये कंप्यूटर दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में छोटे थे तथा इनके काम करने की गति तेज थी। बिजली की खपत भी पहले से कम हुई थी। कम Heat generated करते थे जिसकी वजह से जल्दी गर्म नहीं होते थे, हालांकि AC Rooms की आवश्यकता अभी भी थी। ये कंप्यूटर use करने में काफि आसान थे। इस समय के कंप्यूटर में इनपुट डिवासेस जैसे कि की-बोर्ड, माउस वगैरह आ गये थे।

      इन कंप्यूटर के अंतर्गत IBM-360/370m PDP-8/11, CDC-600 आदि शामिल हैं।

Fourth Generations of Computers (1975-1989)

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      चौथी पीढ़ी का समय कुछ 1975 से 1989 तक का माना जाता है। इस समय के कंप्यूटर में हार्डवेयर equipment के रूप में LSI यानि Large scale integration और VLSI – यानि Very large scale integration जिसमें LSI – thousands of transistors, diode, resistors, capacitors etc.  को एक छोटी silicon chip में समाहित करने में सहायक है और VLSI thousands of hundreds of components को एक छोटी silicon chip में integrate करने में सहायक है। Microcomputer and Personal Computer इस पीढ़ी से अस्तित्व में आने लगे थे। इस पीढ़ी से Time sharing, real time networks, distributed operating systems use होने लगे। इतने integration मदद से कंप्यूटर के आकार में काफि कमी आई। अभी इनको एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता था। इससे बिजली की खपत में भी कमी आई तथा कंप्यूटर के काम करने की गति में वृद्धि हुई। Heat generation ना के बराबर होता था हालांकि AC Rooms की आवश्यकता अभी भी होती थी। ये कंप्यूटर scientific, commercial and general purpose के लिए use में आने लगे थे।

        Microprocessors का इस्तेमाल होने लगा। MS-DOS तथा MS-Windows जैसे software का इस्तेमाल होने लगा। GUI – Graphical User interface based operating systems का प्रयोग होने लगा। इन कंप्यूटर में High level languages use होती थी जैसे- C, C++, DBASE etc. में प्रोग्राम लिखे जाने लगे। ये कंप्यूटर accurate, reliable, diligent and versatile थे। 

       इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में External storage जैसे CD-ROM, DVD-ROM का इस्तेमाल होने लगा।

Fifth Generations of Computers (1989-till)

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      इस पीढ़ी का समय 1989 से अब तक का माना जाता है। इस पीढ़ी के कंप्यूटर में Main hardware equipment के रूप में ULSI यानि Ultra Large Scale Integration chip प्रयोग होने लगा। ये IC चिप Silicon की होती है और इसमें millions of transistors, diode, resistors, capacitors को समाहित किया जा सकता है। इस समय के कंप्यूटर में Super Conductor और Parallel Processing का इस्तेमाल होने लगा।

Software के रूप में GUI based operating Systems use होते हैं। जिनके साथ में JAVA, Python and C# जैसी High level languages का इस्तेमाल होता है। इस पीढ़ी के कंप्यूटर जैसा कि आप जानते हैं- portable, powerful, cheap, multipurpose, हैं। आज कल के कंप्यूटर में Voice recognition, video conference, money transfers ऐसे ही अनेक कार्य करने में सक्षम है।

        इस पीढ़ी के कंप्यूटर में जैसा कि आप भी जानते हैं – Pentium PC, PARAM 10000, SUN Workstations, Laptop, Palmtop, Notebook, etc. जैसे कंप्यूटर शामिल हैं।

 

तो ये था कंप्यूटर का इतिहास जो काफि तरह से उपयोगी है।

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Computer Classes: -

1. What is CCC ?

2. What is Computer & how it works?

3. History of Computer: -

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